Jun 18, 2015

ना साथ, ना तन्हा

At Table Land, Panchgani, Maharashtra
PC: Myself

-1-
 
ना वो बिताते है चंद लम्हे अब हमारे साथ,
ना उनके साथ बिताये लम्हे तन्हा रहने देते है हमें।

(Neither do they keep my company any more,
Nor do their lingering memories let me stay alone.)

-2- 
शायद भूल हमारी ही थी, ख्वाब जो बुन बैठे थे,
बस अमावास की रात में जलती चिंगारी बन बैठे थे। 

(Probably the mistake was all mine to have knit dreams,
I had only been the burning flame on a moonless night.)

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