PC: Myself!! |
"The reality of love is mutilated when it is detached from all its unrealness." - Gaston Bachelard
ना चाँद की तारीफ़ कर सकते हैं ,
ना चाँदिनी को कर सकते हैं हम बरदाश्त।
ये सज़ा-ए-आशिक़ी नहीं, तो क्या हैं?
ना रात गुज़रना हो मंज़ूर, ना धुंध बरदाश्त।
ना चाँद की तारीफ़ कर सकते हैं ,
ना चाँदिनी को कर सकते हैं हम बरदाश्त।
ये सज़ा-ए-आशिक़ी नहीं, तो क्या हैं?
ना रात गुज़रना हो मंज़ूर, ना धुंध बरदाश्त।
(Neither can I afford to appreciate the moon,
Nor is it possible for me to endure moonlight.
If this is not the wrath of passion, what is it?
Neither do I consent the night to depart,
Nor can I bear the darkness*!)
* धुंध can mean either mist or darkness or confusion. All these meanings are intended in this context.
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